मंगलवार को हनुमान जी की पूजा से मिलती है समस्त दुखों से मुक्ति मंगलवार और शनिवार बजरंगबली के दिन माने जाते हैं। मान्यता है कि मंगलवार को हनुमान जी का खास पूजन करने से बहुत लाभ होते हैं। 1. अगर प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी का सिंदूर से पूजन किया जाए तो समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है। 2. हनुमान जी एक ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा में सावधानी बहुत जरूरी है। मंगलवार को अगर सुबह बरगद के पेड़ के एक पत्ते को तोड़कर गंगा जल से धो कर हनुमान जी को अर्पित करें तो धन की आवक बढ़ती है। आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है। 3. मंगलवार को पान का बीड़ा नियम से चढ़ाया जाए तो रोजगार के रास्ते खुलते हैं। नौकरीपेशा को प्रमोशन के अवसर मिलते हैं। 4. मंगलवार को शाम के समय हनुमान जी को केवड़े का इत्र एवं गुलाब की माला चढ़ाएं और कोशिश करें कि स्वयं लाल रंग के वस्त्र पहनें। धन के लिए हनुमान जी को प्रसन्न करने का यह सबसे सरल उपाय है। 5. मंगलवार के दिन शाम को व्रत करके बूंदी के लड्डू या बूंदी का प्रसाद बांटें। इससे संतान संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। 6. इस दिन हनुमान जी के पैरों में फिटकरी रखने से बुरे सपनों से पीछा छूट जाता ह
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Showing posts from October, 2021
हयग्रीव अवतार की कथा
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हयग्रीव अवतार की कथा :------ ऋषि बोले — हे सूत जी ! आप के यह आश्चर्यजनक वचन सुन कर हम सब के मन में अत्याधिक संदेह हो रहा हे. सब के स्वामी श्री जनार्धन माधव का सिर उनके शरीर से अलग हो गया !! और उस के बाद वे हयग्रीव कहलाये गये – अश्व मुख वाले . आह ! इस से अधिक और आश्चर्यजनक क्या हो सकता हे. जिनकी वेद भी प्रशंसा करते हैं, देवता भी जिसपर निर्भर हैं, जो सभी कारणों के भी कारण हैं, आदिदेव जगन्नाथ, आह ! यह कैसे हुआ कि उनका भी सिर कट गया ! हे परम बुद्धिमान ! इस वृत्तांत का विस्तार से वर्णन कीजिये. सूत जी बोले — हे मुनियों, देवों के देव, परम शक्तिशाली, विष्णु के महान कृत्य को ध्यान से सुनें. एक समय की बात है। हयग्रीव नाम का एक परम पराक्रमी दैत्य हुआ। उसने सरस्वती नदी के तट पर जाकर भगवती महामाया की प्रसन्नता के लिए बड़ी कठोर तपस्या की। वह बहुत दिनों तक बिना कुछ खाए भगवती के मायाबीज एकाक्षर महामंत्र का जाप करता रहा। उसकी इंद्रियां उसके वश में हो चुकी थीं। सभी भोगों का उसने त्याग कर दिया था। उसकी कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवती ने उसे तामसी शक्ति के रूप में दर्शन दिया। भगवती महामाया ने उससे कहा
माता मदानन मसानी साधना
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माता मदानन मसानी साधना >>>तंत्र विद्या सीखने की इच्छा रखने वाले संपर्क करें :- >सुलेमानी साधनाएं(जिन्नात,लख दाता पीर,परी साधना) >बंधी हुई चौंकी और सवारी खुलवाने की साधना >पंचांगुली साधना(भूत,वर्तमान,भविष्य जानने के लिए) >उग्र चण्डी और कुल देवी प्रसन्न करने की साधना >10 महाविद्या(महाकाली - दक्षिण काली, श्मशान काली,कामकला काली, डॉट काली, भद्रकाली काली) >(मां तारा,षोडशी,भुवनेश्वरी, छिन्मस्तिका, त्रिपुरभैरवी, धूमावती,बगलामुखी,मातंगी,कमला) >मां चामुंडा साधना >52बीर(बाबा सबल सिंह बाबरी, नाहर सिंह,गोगा बीर) >शिव साधना/महाकाल साधना/अघोर पुरुष साधना >कोर्ट-कचहरी मुकदमे ब शत्रु पर विजय पाने हेतु साधना (माता मदानन,बीर मसानी, सर्व मसानी, मां प्रत्यंगरी) >भैरव साधना(क्रोध,बटुक और काल भैरव साधना) >सर्व वशीकरण और आंखो द्वारा वशीकरण साधना >अष्टलक्ष्मी और पंचपुखी हनुमान जी की साधना >64 योगिनी,सर्व अप्सरा ब सर्व यक्षिणी साधना >गुरु गोरखनाथ ब नाथपंथी साधनाएं, कर्ण पिशाचनी >मां कामख्या,चामुंडा,महादुर्गा, मां भगवती साधना >महासरस्वती साधना (बुद्धि
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गणेशजी और उनकी पत्नियाँ । 1. गणेशजी की पत्नियां : गणेशजी की ऋद्धि और सिद्धि नामक दो पत्नियां हैं, जो प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं। 2. ऋद्धि और सिद्धि के पुत्र और पौत्र : सिद्धि से 'क्षेम' और ऋद्धि से 'लाभ' नाम के 2 पुत्र हुए। लोक-परंपरा में इन्हें ही 'शुभ-लाभ' कहा जाता है। तुष्टि और पुष्टि इनकी बहुएं हैं। इनके के पोते आमोद और प्रमोद हैं। संतोषी माता को गणेशजी की पुत्री कहा गया है। 3. ऋद्धि और सिद्धि का विवाह : पौराणिक कथाओं में जिस तरह शिव-पार्वती विवाह, विष्णु-लक्ष्मी विवाह, राम-सीता विवाह और रुक्मणी-कृष्ण विवाह जितने प्रसिद्ध और चर्चित है उसी तरह गणेशजी का ऋद्धि और सिद्धि के साथ विवाह की चर्चा भी सभी पुराणों में रोचक तरीके से मिलती है। 4. इस कारण हुआ था विवाह : कहते हैं कि तुलसी के विवाह प्रस्ताव को ठुकराने से तुलसी के श्राप के कारण गणेशजी को रिद्धि और सिद्धि से विवाह करना पड़ा था। गणेशजी ने भी तुलसी को श्राप दे दिया था कि जा तेरा विवाह किसी असुर से होगा। तब तुलसी वृंदा के रूप में जन्मी और उनका विवाह जलंधर से हुआ। 5. रिद्धि और सिद्धि थीं गणेशजी की वि