सर्वार्थ सिद्धि योग । शुभ कार्य तो हर समय होते रहने हैं किन्तु जब कई ग्रह अस्त हो जाते हैं तो उस शुभ कार्य नहीं हो पाते हैं। आज हम आपको सर्वार्थ सिद्धि योग के बारे में बताने जा रहे हैं। इस योग के समय कुछ शुभ कार्य किये जा सकते हैं। आइये जानते हैं सर्वार्थ सिद्धि योग के बारे में। सर्वार्थ सिद्धि योग क्या होता है । सर्वार्थ सिद्धि योग किसी शुभ कार्य को करने का शुभ मुहूर्त होता है। जैसा की आप जानते है बिना शुभ मुहूर्त के कोई भी कार्य करना लाभकारी नहीं होता, लेकिन कई बार किसी कारणवश मुहूर्त से पहले जरुरी कार्य करने पड़ सकते है। ऐसे में पुनः शुभ मुहूर्त की गणना करना थोडा मुश्किल है लेकिन शास्त्रों में इसका भी समाधान दिया गया है। जी हां, इस स्थिति में आप सर्वार्थ सिद्धि योग में उस कार्य को कर सकते है। अर्थात यदि किसी शुभ कार्य को करने के लिए आवश्यक और सही मुहूर्त नहीं मिल पा रहा है तो आप सर्वार्थ सिद्धि योगों में अपना शुभ कार्य कर सकते है। इन मुहूर्तों में शुक्र अस्त, पंचक, भद्रा आदि पर विचार करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि ये मुहूर्त अपने आप में भी सिद्ध मुहूर्त होते है। इसके...
माता मदानन मसानी साधना >>>तंत्र विद्या सीखने की इच्छा रखने वाले संपर्क करें :- >सुलेमानी साधनाएं(जिन्नात,लख दाता पीर,परी साधना) >बंधी हुई चौंकी और सवारी खुलवाने की साधना >पंचांगुली साधना(भूत,वर्तमान,भविष्य जानने के लिए) >उग्र चण्डी और कुल देवी प्रसन्न करने की साधना >10 महाविद्या(महाकाली - दक्षिण काली, श्मशान काली,कामकला काली, डॉट काली, भद्रकाली काली) >(मां तारा,षोडशी,भुवनेश्वरी, छिन्मस्तिका, त्रिपुरभैरवी, धूमावती,बगलामुखी,मातंगी,कमला) >मां चामुंडा साधना >52बीर(बाबा सबल सिंह बाबरी, नाहर सिंह,गोगा बीर) >शिव साधना/महाकाल साधना/अघोर पुरुष साधना >कोर्ट-कचहरी मुकदमे ब शत्रु पर विजय पाने हेतु साधना (माता मदानन,बीर मसानी, सर्व मसानी, मां प्रत्यंगरी) >भैरव साधना(क्रोध,बटुक और काल भैरव साधना) >सर्व वशीकरण और आंखो द्वारा वशीकरण साधना >अष्टलक्ष्मी और पंचपुखी हनुमान जी की साधना >64 योगिनी,सर्व अप्सरा ब सर्व यक्षिणी साधना >गुरु गोरखनाथ ब नाथपंथी साधनाएं, कर्ण पिशाचनी >मां कामख्या,चामुंडा,महादुर्गा, मां भगवती साधना >महासरस्वती साधना (बुद्धि ...
वास्तुशास् त्र की आठ प्रमुख दिशाएं एवं उनके महत्व वास्तुशास् त्र में आठ प्रमुख दिशाओं का जिक्र आता है, जो मनुष्य के समस्त कार्य-व्यवहारों को प्रभावित करती हैं। इनमें से प्रत्येक दिशा का अपना-अपना विशेष महत्व है। अगर आप घर या कार्यस्थल में इन दिशाओं के लिए बताए गए वास्तु सिद्धांतों का अनुपालन करते हैं, तो इसका सकारात्मक परिणाम आपके जीवन पर होता है। इन आठ दिशाओं को आधार बनाकर आवास/कार्यस्थल एवं उनमें निर्मित प्रत्येक कमरे के वास्तु विन्यास का वर्णन वास्तुशास् त्र में आता है। ब्रहांड अनंत है। इसकी न कोई दशा है और न दिशा। लेकिन हम पृथ्वीवासियों के लिए दिशाएं हैं। ये दिशाएं पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाने वाले गृह सूर्य एवं पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र पर आधारित हैं। यहां उल्लेखनीय है कि आठों मूल दिशाओं के प्रतिनिधि देव हैं, जिनका उस दिशा पर विशेष प्रभाव पड़ता है। इसका विस्तृत वर्णन नीचे किया गया है। यहां हम आठ मूलभूत दिशाओं और उनके महत्व के साथ-साथ प्रत्येक दिशा के उत्तम प्रयोग का वर्णन कर रहे हैं। चूंकि वास्तु का वैज्ञानिक आधार है, इसलिए यहां वर्णित दिशा-निर्देश पूर्णतः तर्क संगत हैं...
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