शिव जी कहते है जो पुरुष भस्म का त्रिपुंड लगाते हैं। वे मेरे लोक को प्राप्त होते है।योगियों की कभी भी निंदा नहीं करनी चाहिए। जिसके मस्तक पर भस्म नही है।उसका त्याग कर देना चाहिए ब्रह्मा विष्णु ने भीं भस्मी को धारण किया था जिस प्रकार दवाग्नि से वृक्ष भस्म हो जाते है। उसी प्रकार शिव नाम जपने से सब पाप नष्ट हो जाते हैं सब को भस्म धारण करना चाहिए जो भस्म का त्रिपुंड नही लगाते हैं उनको सौ करोड़ कल्प में भी शिव ज्ञान नही होता है।भस्म धारण करने वाला व्यक्ति जहां भी जाता हैं वहा सब तीर्थ यज्ञों का निवास हो जाता हैं।ब्रह्मा विष्णु भी भस्म धारण के माहात्म्य को नहीं बता सकते है जो पुरुष भस्मी धारी को देखकर नाराज होते है।उनका जन्म चांडाल के यहां होता है। जो त्रिपुंड की निंदा करते हैं।वे शिव जी की निंदा करते हैं।
श्लोक *धिग्भस्म रहितं भालं धिगग्राम म शिवालय ।।
भस्म रहित मस्तक को धिक्कार है जिस गांव में शिवालय नही है उस गांव को धिक्कार है।। भस्मी सब को धारण करना चाहिए। चाहे स्त्री हो ब्राह्मण हो विधवा हो सब को भस्म धारण करना चाहिए ।।।।
।।लिंग पुराण ।।
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