योगी जोगी नाथ समाज के उपनाम , नाथ सम्प्रदाय में ग्रहस्त योगी समाज
नाथ सम्प्रदाय
नाथ सम्प्रदाय में ग्रहस्त योगी समाज
कुछ लोगो को यही पता है योगी सन्यासीयो को बोला परंतु उन्हें ये नहीं पता नाथ सम्प्रदाय में ग्रहस्त योगी समाज है जो भारत नेपाल मे भी है जनसंख्या बिस करोड़ के लगभग है आए जानिए क्या है नाथ सम्प्रदाय और योगी समाज।
।।।।।।। नाथ सम्प्रदाय ।।।।।।
प्रथम नाथ आदिनाथ शिव है जिन्होंने अपने आत्मबल से स्वयं को दो भागो में विभाजित कर दिया एक स्वयं शिव रुप में दुसरा गोरक्ष रुप में ।
शिव ग्रहस्त योगी है जिससे ग्रहस्त योगी समाज बना गोरक्ष सन्यासी योगी जिससे सिद्ध सन्यासीयो का पंथ बना।
ग्रहस्त और सन्यासीयो को मिलाकर बना नाथ सम्प्रदाय।
किसे कहते हैं नाथ पुरा विश्व ही शिवगोरक्ष से है परंतु नाथ उसे कहते है जो शिवगोरक्ष के बताए मार्ग पर चलते हैं उच निच जाति वर्ण धर्म का भेद नही करते जो भी नाथ की शरण में आता है अपने पाप से मुक्ति पाता।
।।।।।।।।।। योगी समाज।।।।।।।
भगवान शिव नाथ है योगी है इनको संहार का देवता बताया गया है यने मारने का यही कार्य मानव में क्षत्रिय का है शिव क्षत्रिय योगी है इसी वर्ण से चार वर्ण बने परंतु नाथ सन्यासी हो या ग्रहस्त योगी वर्ण नही मानता परंतु दोनो ही वर्ण से ब्राहमण और क्षत्रिय है क्योंकि ये मंदिर के पुजारी व कर्मकाण्ड यग हवन कथा सभी इश्वरिय कार्य करते हैं और धर्म पर जब कोई आच आती हैं तो शस्त्र उठाकर धर्म की रक्षा भी करते हैं। इसिलीए कहते है एक हाथ में माला दुसरे में भाला तन पर भगवा योगी की शान है।
योगी समाज के उपनाम
जोगी
नाथ
राजगुरु
उपाध्याय (पादा जी)
रावल
गोस्वामी (गोसाई)
देव नाथ
रावलदेव
रुद्राज
विर शेव
डवरी
गोसावी
गोरखा
कालबैलिया
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योगी समाज के जन अपने उपनाम को ही समाज बताते है जिससे ये समाज एक होकर भी अनेक समाज में बटा है इसलिए सभी उपनाम धारियो से निवेदन है अपने उपनाम नाम के साथ लगाए परंतु अपना मुल योगी ना छोड़े सम्पूर्ण विश्व में रह रहे योगी जनो से निवेदन है उपनामो में ना बटे एक योगी समाज योगी एकता होगी तभी धर्म की रक्षा होगी
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