केसर के तिलक का महत्व व लाभ ।

 केसर के तिलक का महत्व व लाभ ।


हिंदू संस्कृति में तिलक का बहुत महत्व माना जाता है। कोई धार्मिक कार्य या पूजा-पाठ में सबसे पहले सबको तिलक लगाया जाता है। यही नही जब हम कभी किसी धार्मिक स्थल पर जाते हैं तब भी सर्वप्रथम हमें तिलक लगाया जाता है। दरअसर हिंदू संस्कृति व शास्त्रों में तिलक को मंगल व शुभता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए जब भी कोई व्यक्ति शुभ काम के लिए जाता है तो उसके मस्तक पर तिलक लगाकर उसे विदा किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं तिलक आपकी कई मनोरामनाएं भी पूरी करता है।
शास्त्रों में तिलक के संबंध में विस्तार से बताया गया है। अलग-अलग पदार्थों के तिलक करने से अलग-अलग कामनाओं की पूर्ति होती है। चंदन, अष्टगंध, कुमकुम, केसर आदि अनेक पदार्थ हैं जिनके तिलक करने से कार्य सिद्ध किए जा सकते हैं। यहां तक कि ग्रहों के दुष्प्रभाव भी विशेष प्रकार के तिलक से दूर किए जा सकते हैं।


तिलक का मुख्य स्थान मस्तक पर दोनों भौ के बीच में होता है, क्योंकि इस स्थान पर सात चक्रों में से एक आज्ञा चक्र होता है। शास्त्रों के अनुसार प्रतिदिन तिलक लगाने से यह चक्र जाग्रत हो जाता है और व्यक्ति को ज्ञान, समय से परे देखने की शक्ति, आकर्षण प्रभाव और उर्जा प्रदान करता है। इस स्थान पर अलग-अलग पदार्थों के तिलक लगाने का अलग-अलग महत्व है। इनमें सबसे अधिक चमत्कारी और तेज प्रभाव दिखाने वाला पदार्थ केसर है। केसर का तिलक करने से कई कामनाओं की पूर्ति की जा सकती है।


दांपत्य में कलह खत्म करने के लिए

जिन लोगों का दांपत्य जीवन कलहपूर्ण हो उन्हें केसर मिश्रित दूध से शिव का अभिषेक करना चाहिए। साथ ही अपने मस्तक, गले और नाभि पर केसर कर तिलक करें। यदि लगातार तीन महीने तक यह प्रयोग किया जाए तो दांपत्य जीवन प्रेम से भर जाता है।

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