हनुमान जी विवाहित और ब्रह्मचारी दोनों हैं ।

 हनुमान जी विवाहित और ब्रह्मचारी दोनों हैं ।

मित्रगण हम सब ज़्यादा से ज़्यादा रामायण के एक या दो संस्करणों से परिचित हैं। किसी से पूछकर देखें तो वह वाल्मीकि रामायण या रामचरित मानस या किसी एक अन्य रामायण का नाम बता देगा पर आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि क़रीब 50 से अधिक रामायण तो अब तक ज्ञात हैं। और अज्ञात कितने कहा नहीं जा सकता। सभी रामायण से जुड़े कुछ न कुछ साक्ष्य भी मिलते हैं यानी आप किसी को सिर्फ ये कहकर नहीं ठुकरा सकते कि आपने नहीं सुना या फिर आपकी वाली पंसदीदा रामायण में तो कथा इस प्रकार नहीं है। राम की लीला राम ही जानें, हमें तो आराध्य की लीला कथाओं का आनंद लेना चाहिए, बहुत अधिक तर्क कुतर्क को जन्म देता है।
वो कैसे?
क्योंकि हम अपनी तर्क शक्ति उस सिद्धान्त के लिए लगाते हैं जिसे हमने खोज लिया है या जान सके हैं लेकिन संसार में जितना ज्ञात है उससे अनंत गुणा अज्ञात है। फिर अज्ञात के लिए ज्ञात के तर्क कैसे सही बैठेंगे जैसे रसायन शास्त्र के तर्क, अर्थशास्त्र में फिट नहीं हो सकते। आपको विभिन्न रामायण के बारे में धीरे धीरे करके बताना शुरू किया जाएगा इस पेज पर, समय का इंतज़ार है। अभी ये पेज बहुत छोटा है और उतने शोध के बाद कोई चीज़ निकाली जाए और वह पहुँचे भी थोड़े लोगों तक तो शोध का उत्साह घट जाता है। आगे शोध की प्रेरणा नहीं मिलती। इसलिए इंतेज़ार है कि कम से कम 10 लाख लाइक का हो जाए फिर शोध की शृंखला शुरू की जाएगी जो आपके लिए एक अलग अनुभव की होगी, बहुत रोचक, बहुत ज्ञानप्रद और बहुत से भ्रम मिटाने वाली। इस पेज को आगे बढ़ाने में सहयोग करिए।
आज आपको है हनुमानजी के विवाहित होने की एक कथा के बारे में बताते हैं जो दक्षिण भारत के प्रचलित रामायण और पराशर संहिता में प्रमुखता से आती है।
हनुमान जी सदा ब्रह्मचारी रहे थे। पाराशर संहिता जैसे कुछ शास्त्रों में हनुमान जी की शादी होने का वर्णन भी मिलता है। लेकिन हनुमान जी ने यह शादी वैवाहिक सुख प्राप्त करने की इच्छा से नहीं की थी। बल्कि उन चार प्रमुख विद्याओं की प्राप्ति हेतु किया था। जिन विद्याओं का ज्ञान केवल एक विवाहित व्यक्ति को ही दिया जा सकता था।
इस कथा के अनुसार हनुमान जी ने अपना गुरु सूर्य देवता को बनाया था। सूर्य देवता ने अपने शिष्य हनुमान जी को 5 विद्या सिखा दी। लेकिन बाकी बची 4 विद्याओं का ज्ञान सिखाने से पहले सूर्य देवता ने अपने शिष्य हनुमान जी को शादी कर लेने के लिए कहा। क्योंकि इन 4 विद्याओं का ज्ञान केवल एक विवाहित को ही दिया जा सकता था। हनुमान जी अपने गुरु सूर्य देवता की आज्ञा मानकर विवाह करने के लिए तैयार हो गए। तब समस्या उत्पन्न हुई की हनुमान जी से विवाह के लिए किस कन्या का चयन किया जाए।
तब सूर्य देव ने अपनी परम तेजस्विनी पुत्री सुवर्चला से अपने शिष्य हनुमान जी को शादी करने के लिए कहा। हनुमान जी तैयार हो गए हनुमान जी और सुवर्चला की शादी हो गई। सूर्य देवता की बेटी और हनुमान जी की पत्नी देवी सुवर्चला परम तपस्वी थी। विवाह होने के बाद ही सुवर्चला तपस्या में मग्न हो गई। और उधर हनुमान जी अपने गुरु सूर्य देवता से अपनी बाकी बची 4 विद्याओं का ज्ञान को हासिल करने में लग गए। इस प्रकार श्री हनुमान जी विवाहित होने के बाद भी उनका ब्रह्मचर्य व्रत नहीं टूटा।

हनुमान जी और उनकी पत्नी सुवर्चला का मंदिर

हनुमान जी और उनकी पत्नी सुवर्चला का मंदिर हैदराबाद से 220 किलोमीटर दूर तेलंगाना के खम्मम जिले में है। यहां एक प्राचीन मंदिर में बजरंग बली अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं। मान्यता है कि यहां पूजा करने से दांपत्य जीवन में सुख शांति बनी रहती है।

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