पितृ देव रुष्ट एवं उनके प्रशन्न करना

  पितृ देव रुष्ट एवं उनके प्रशन्न करना

लेख को शान्त मन से अध्ययन करने की कृप्या करे आप सभी में बहुत लोग ऐसे हैं जो हमे इनबॉक्स में आ कर पहले कहते हैं हमारी सहायता करो जब बात कर्म कांड की आती है तो हमे धन का लोभी कहते हैं एवं हमे ब्रह्मा ज्ञान प्रदान करने लगते हैं उन सभी सज्जनों से हाथ जोड़ कर निवेदन हैं कि न वह अपना समय नष्ट करे न ही हमारा क्योकि हमे फेसबुक के माध्यम से ज्ञान नही चाहिए
क्योकि हम अपने जीवन में धर्म ग्रथ पुराण आदि का अध्ययन करते ही रहते हैं एवं तँत्र मार्ग एवं भगत मार्ग में भृमण कर के बहुत तरह के भगतो की शरण ली है उन के पास जा कर जो मिला है हम उसी से संतुष्ट है में यह नही कहता कि तुम मुझ पर विश्वास करो न ही में यह कहता हूं कि में पोस्ट इस लिए लिखता हूं कि तुम लोग मुझसे कोई कार्य करवाओ न ही में पोस्ट में कभी लिखता हूं इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति हम से संपर्क करे हम इलाज करते हैं में कभी ऐसा नही लिखता हु
और न कभी इस प्रकार लिखूंगा क्योकि हमे अपने नाम बढ़ाई एवं स्वयं को गुरु कहलवाना उसी प्रकार दुख देता है जैसे किसी शरीर को भालो से छेदन किया जा रहा हो तुम्हारे लिए सिर्फ गुरु एक शब्द हैं किंतु हमारे लिए यह ब्रह्मा विष्णु महेश समान है यह गुरु शब्द कह देने में बड़ा सरल हैं किंतु इस को समझ पाना अत्यंत कठिन है
हम सिर्फ लेख लिखते हैं कि तुम्हारा कल्याण हो सही दिशा तुम को लेख के माध्यम से मिल सके और हम ने स्प्ष्ट लिख रखा है हम सलाह पोस्ट के माध्यम से दिया करते हैं वह भी मुफ्त और हमारी सलाह कोई अंधेरे में तीर मारने वाली नही होती हमारी सलाह हमारे जीवन के अनुभव है जो स्वयं ने उस का फल देखा है इन भगत आदि में भटक भटक कर इन सब को समझा हैं कि किस परिस्थिति में क्या कर्म औऱ किस प्रकार का कर्म करना चाहिए जिस से जल्द से जल्द पीड़ित को लाभ उपलब्ध हो सके
👉 पहले यह जान लो कि पितृ रुष्ट होते क्यो हैं उस की वजय क्या है आज कलुयग का मानव अपनी संस्कृति से दूर होता जा रहा है क्योकि उसकी दृष्टि में यह सब अंधविश्वास हैं जब उस को दुखो का सामना करना पड़ता है जब वह भगत तँत्र साधु ज्योतिष की शरण लेता है फिर उस को जो कर्म करवाये जाते हैं वह सभी करता है बहुत को लाभ होता है बहुत को नही
क्योकि ये मानव बड़ा लोभी हैं सिर्फ अपनी सोच को सही मानता है धर्म की बाते एवं पूजा पाठ से विमुख हो रहा है घर घर मे मास मदिरा का सेवन शुरू हो गया है सेवन करना गलत नही है करो पर जो दिन पुण्य हो पुण्य तिथि हैं उन पर परेहज किया जाना आवश्यक होता है
घर की महिलाएं अर्थ उस घर की लक्ष्मी अपने पितरों का समय पर पूजन नही करती क्योकि उन को ज्ञान नही है कि हमारे कुल में क्या क्या होता है जिस घर मे हम आये हैं बहुत महिलाओं को ज्ञान होता है फिर भी वह अपनी छोटी बुद्धि के कारण इन सब से दूर रहना ही उचित समझती है घर का मुखिया भी उस को बाध्य नही करता है करेगा कहा से जब स्वयं ही पथ से भटका हुआ है जब इन पर दुख की बरसात या इनकी संतान पर चोट पड़ना शुरू हो जाती है तब यह भागते फिरते हैं
जब यह पितृ आदि का समय जो विधाता ने इनके लिए नुक्त किया है उस दिन यह आपके कुल के पूर्वज वह नरक में हो या किसी भी योनि में एक बार अपने घर अवश्य आया करते हैं क्योकि अगर वह नरक में अपने कर्मो अनुसार फल प्राप्त कर रहे हैं उस समय यमराज उन्हें नरक से मुक्त कर देते हैं वह वहां से अपने अपने घर आया करते हैं घर मे जो उनका सम्मान आदि होता है उस को वह ग्रहण करते हैं एवं आशीर्वाद दे कर जाते हैं कि तुम सुखी रहो
अब इस के विपरीत अगर आप उन्हें भूल गए है उनका कोई सम्मान आदि नही हुआ समय पर वह आये और दुखी होते हैं यह सोच कर की हम अपने कर्मो का दुख नरक में तो भोग ही रहे हैं एवं हमारे कुल के भी हमे भूल गए हैं तो वह उस समय श्राप दे कर चले जाते हैं कि दुखी रहो यहां ये भयंकर पितृ दोष लगता है जो बहुत सी पीढ़ियों को कष्ट देता है एवं वह दुखी मन से नरक को चले जाते हैं
अब ऐसा ही नही है कि बस पितृर आदि का विधान सिर्फ मनुष्य श्राद्ध के समय मे ही करते हैं जो व्यक्ति सज्जन होते हैं वह हर अमावस्या एवं कोई भी सुभ कार्य हो वह उनका सम्मान करते ही रहते हैं इन पर इनके पितरों का आशीर्वाद रहता है अगर इन्हें कोई कष्ट आ रहा हो जिसे देख नही सकते अर्थ बुरा भला किया कराया तो यह स्वप्न के माध्यम से उस को संकेत करा देते हैं एवं खुद भी उन से सहायता करते हैं यह बात परम् सत्य है
क्योकि यह इस आधार पर यह कहा जाता है कि अगर मुझे आप के घर मे आपके विश्राम घर मे आना है तो मुझे द्वार पर आप से आज्ञा लेनी होगी जब ही में आपके घर मे आ सकता हु आपकी बिना आज्ञा के में क्या कोई भी आपके घर मे नही आ सकता है अब जो आ सकते हैं उन की बात अलग है जैसे चोर हुए या कोई और यह कपट से आते हैं इसी प्रकार अदृश्य शक्ति वह किसी भी मार्ग की हो इन दो मार्ग से ही घर मे प्रेवश किया करती है
जब तक इन पितृर आदि की आज्ञा नही होगी वह आपके घर मे प्रवेश नही कर सकती बाकी कपट आदि पीछे लिख दिया गया है यह हो गयी इन की सामान्य झलक
अब उपाय सुनो
जिस के घर मे पितृ वर्ग से कष्ट हो वह सिर्फ इतना करे पीड़ित के सिर पर से 11 रुपये उतार कर उनके नाम से रख दे और एक समय बोल दे कि हम इतने समय मे इतनी अमावस्या गंगा स्नान कर लेंगे एव वहां ब्रह्मण्ड के द्वारा आप की पूजा वंदना करेगे अगर समस्या इन की तरफ से हुई लाभ अवश्य मिलेगा
किसी किसी से ज्यादा रुष्ट हो वह हर अमावस्या को इनकी अच्छे से पूजा करे जल अर्पण करें जल्द ही लाभ देखेगा उस को कम से कम चार अमावस गंगा स्नान करने होंगे और वहां कर्म वह अपने हिसाब से अनुमान लगा ले कि किस से किस प्रकार रुष्ट हैं दोनो बाते लिख दी गई हैं एवं अपने घर मे किसी भी मंगलवार अथवा रविवार को सत्य नारायण भगवान की कथा करवा लें
लाभ निःसन्देह होगा इतना ही बता ने के ज्योतिष आदि एवं तंत्रिक 1000 रुपए की चपत लगा देते हैं कोई इस से कम पर लगा जरूर देते हैं आप सभी को मुफ्त में बताया जा रहा है मुफ्त की सलाह समझ कर यह न समझ बेठना की कोई लाभ न होगा क्योकि हम जो कहते हैं बहुत सोच समझ कर ही कहते हैं
अब एक बात और इन तांत्रिक भगत आदि के चक्कर मे आ कर किसी को भी स्थान न दे दिया करो घर मे जैसे बहुत कहते हैं अपने घर मे स्थान दो शन्ति हो जाएगी यह सब से बडी गलती हैं मनुष्य की की वह बिना विचार किये दे देता है इस के दो पहलू हैं प्रथम बात जरूरी नही है कि वह आपके घर का हो क्योकि उस ने सिर्फ कहा कोई प्रमाण नही दिया इस लिए सोच समझ कर दो दूसरा तुम तो अपने जीवन मे उस का सम्मान करोगे जिस को जगह दी पर आपके घर मे बच्चे करे या न करे इस का कोई ज्ञात है जब वह नही करेगे तो वह भी दण्ड के भागी होंगे इस लिए स्थान सोच समझ कर देना चाहिए वह देव हो या देवी या कोई और
अब इस का एक घटना भी बता देते हैं जब हम सिख रहे थे उस समय एक केस आया पीड़ित को बैठाया गया उस पर मंत्र आदि के प्रयोग से जो प्रेत था उस को बुलाया गया वह आया ज्ञात हुआ बात करने पर की वह एक नट का प्रेत है
नट जो गली गली में ढोलक आदि बेचा करते हैं बजा बजा कर फिर गुरु जी ने उस से कहा भाई तुझे ढोलक बजाना भी आता होगा बड़ी खुशी से बोला हा आता है उस को बजाने के लिए दी गयी वह बजाने में बड़ा मस्त हुआ
गुरु ने उस के पीछे एक लाइन खिंच दी अब जब उस ने ढोलक बजा दी तो बोला अब में जा रहा हु जैसे ही पीछे मुड़ा उस लाइन पर उस को समझ आया बोला तूने तो मुझे फसा लिया
तू बड़ा तेज है गुरु बोले अरे तुझे इतनी मेहनत से बुलाया हैं बता तेरी और क्या सेवा करू वह बोला कुछ नही बस मुझे जाने दे गुरु ने कहा तू वचन भर के जा आज से इस को कभी दुखी नही करेगा
वह बोला नही करूँगा पर मेरी एक शर्त हैं मुझे इस के घर मे स्थान दिला दे वरना नही जाऊंगा छोड़ कर तू कुछ भी कर ले गुरु ने कहा तू इस के घर का हैं जो स्थान दिला दु
तुझ को स्थान चाहिए तो अपने परिवार में जा कर ले और जाना तो तुझे पड़ेगा ही अभी मान जा वह न माना गुरु ने उस को चिमटे सेके दबा कर हाथ जोड़ कर बोला नही चाहिए बस जाने दे गुरु ने उस को छोड़ दिया इस लिए हमने कहा जो वास्तव में जान कार होते हैं वह कभी स्थान नही दिलाया करते
अब यहाँ चिमटे पड़े तो facebok के तान्त्रिक कभी ऐसी भूल न करना जब तक प्रेत को पकड़ना न सिख लो क्योकि जब आप मार मरोगे उस मे अगर वह शरीर से निकल गया तो उस इंसान के चोट पड़ेगी इस लिए पहले बंधन करना सीखा जाता है जिस से प्रेत भाग न जाये क्योकि दिखाता नही है वह की कब निकल गया कब भर गया यह ज्ञात करने के लिए भी बड़ा कष्ट करना पड़ता है क्योकि पल में आएगा पल के निकल जायेगा बहुत ऐसे भी होते हैं जो दूर से ही काम कर रहे होते हैं शरीर मे भरते तक नही है हर प्रकार का खेल हैं
इस लिए यह कहा गया है कि स्थान देने से पहले 1000 बार विचार करो जब जा कर ही दो चंद पल की ख़ुशी के लिए आने वाले कि नस्ल बेकार न करो बाकी अगर घर का हैं स्थान मांगता है उस को भी न दो क्योकि तुमको भगत तांत्रिक थोड़ी न बनाना है तुम उस को गया आदि तीर्थ पर जा कर कर्म कांड द्वारा उस को उस के लोक जाने दो उस के क्रम के अनुसार जहाँ भी जाये
आज के लिए इतना ही

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