मकरध्वज बालाजी सरकार

 मकरध्वज बालाजी सरकार

मकरध्वज बालाजी सरकार

मकरध्वज बालाजी सरकार
मुझे रास आ गया है तेरे दर पर सर झुकाना,
तुझे मिल गया पुजारी मुझे मिल गया ठिकाना,
मुझे कौन जानता था तेरी बंदगी से पहले।
तेरी याद ने बना दी मेरी जिंदगी फसाना।
मुझे इसका गम नहीं कि बदल गया जमाना।
मेरी जिंदगी के मालिक कहीं तुम बदल ना जाना।
यह सर वह सर नहीं, जिसे रख दूं और फिर उठा लूं।
जब चढ़ गया तेरे चरण में, आता नहीं उठाना।

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