हरि ॐ
( भैरव साधक एवं कपाल साधक )के जीवन की एक घटना पूर्ण घटना लेख में अध्यन करे
जैसा कि हम हमेसा ही कहा करते हैं शांत मन से अध्ययन करें लेख से आपको कुछ सिख मिले तो ग्रहण करे न मिल पाए तो नजरअंदाज करे शब्दो की कमी न पकड़े क्योकि हम कॉपी पेस्ट नही करते हम लेख स्वयं लिखा करते हैं एवं कम पढ़े लिखे हैं इस लिए शब्दो का ज्ञान नही है
आप सभी को मंत्र साधना आदि की पोस्ट देने वाले बहुत व्यक्ति यहां मिलगे पर उन के रहस्य विधि विधान देने वाले बहुत कम लोग मिला करते हैं एवं वह लोग तो और भी कम मिलेंगे जो आप को इस मार्ग से भलीभांति परिचय करवाये की इस मार्ग में क्या क्या घटित हो सकता है उन से किस प्रकार बचना चाहिए यह बतलाने वाले व्यक्ति बहुत कम ही आपको यहां फेसबुक पर मिलेंगे
हम यह बात इस लिए कह रहे हैं तुम सब बिना विचार किये ही साधना आदि में प्रेवश कर जाते हो धन तो हर व्यक्ति को चाहिए लेकिन बहुत व्यक्ति ऐसे हैं जिन्हें साधना के मार्ग से धन चाहिए यह भी ऐसे ही व्यक्ति की घटना पर आधारित हैं यह आज का लेख
बात आज से 5 वर्ष पहले की है हम इसी प्रकार लेख लिखा करते थे जैसे आज लिख रहे हैं इसी फेसबुक पर हमें एक व्यक्ति मिला उस का नाम हम नही लिख सकते क्योकि कभी हमने उनका नाम नही लिखा जो हमे इनबॉक्स में अभद्र बोल देते हैं तो अन्य किसी का लिखना तो बहुत दूर की बात है क्योकि हम प्रचार नही करते न ही अपने आप को महान सिद्ध करना चाहते हैं लेख हम सिर्फ आप लोगो के ज्ञान के लिए लिखा करते हैं कि लेख के माध्यम से आप कुछ समझ सको
यह व्यक्ति एक कपाल साधक था एवं भैरव साधक था
जब उसके जीवन मे दुख आया उस दुख के अंत के लिए यह व्यक्ति हम से बात करने लगा उस ने पहले अपनी पूर्ण कहानी बताई की कैसे क्या क्या हुआ और अब ये समस्या हैं पता नही किस कारण हो रही है यह दूर कैसे होगी बस यह बताने की कृपा करें उस दुख के अंत के लिए यह हमसे जुड़ा था
इस ने अपने जीवन में धन की प्राप्ति के लिए यह दोनों मार्ग चयन किये यह व्यक्ति बंगाल के आस पास का था हम न मिले न कभी एक दूसरे को देखा हम ने जो भी बात हुई फेसबुक के माध्यम से ही हुई बात को भी 5 वर्ष हो गए हैं यह सिर्फ हम तुम लोगो को समझ देने के लिए लेख लिख रहे हैं कभी तुम लोग भी ऐसी गलती न कर बेठना किसी के चक्कर मे पड़ कर
यह भी आम लोगो की तरह जीवन व्यतीत करता था जॉब आदि करता था इस ने किसी गुरु की शरण ली उस गुरु की धन आदि से सेवा की सब प्रकार से उस गुरु ने इस को मार्ग दिया प्रथम भैरव की मूर्ति इस से इसके घर मे स्थापित करवाई वह भी दक्षणि दिशा की ओर यह गुरु भी इसे फेसबुक से ही मिले थे आमने सामने यह दोनों कभी न मिले थे
यह दक्षिण दिशा सामान्य दिशा नही है और यह इस दिशा का पूजन करता था वह भी भैरव जी को घर मे स्थान दे कर जब हमने यह सुना हमे बड़ा विचित्र लगा अजीब लगने का कारण क्या है वह आगे बतायेगे
फिर इस ने कुछ माह भैरव जी की साधना की उस के बाद इस के गुरु ने आज्ञा दी कि आने वाली अमावस की रात्रि एक नर मुंड का इंतजाम कर लो
यह व्यक्ति निर्भय था अमावस की रात्रि को यह घर से निकला श्मशान में तो नर मुंड उपलब्ध नही हो सकता इस लिए यह एक कब्रिस्तान में गया वहां जा कर इस ने वहां से एक मुंड ( सिर )ले लिया
उस मुंड के ऊपर बाल थे इस ने अपने हाथों से ही उन सब को नोच नोच कर ही उस मुंड को साफ किया घर आ कर इस ने उस को स्नान आदि करा के धूप सुगंध दीप शराब आदि से भोग आदि दिया जो जो इसके गुरु ने बताया इस ने वह कर्म किया
कर्म करने के बाद इस ने वह खोपड़ी एक जगह छिपा दी घर मे नही रखी क्योकि घर मे इस का परिवार रहता था जब जब इस को आवश्यकता होती उस को निकाल कर लाता पूजा आदि विधि विधान करता फिर जा कर रख आता
इस के कार्य सिद्ध होने लगे घर मे धन की कोई कमी नही रही पर इस बुद्धि हींन को क्या ज्ञात था कि ऐसा भी हो सकता है जैसे जैसे समय गुजरा उस ने पहले तो इसे धन दिया अर्थ हर काम मे सफलता इसी की और आती
अब जब उस नर मुंड ने इस के घर मे अपनी पकड़ मजबूत की तो वह इसकी पत्नी पर हावी हुआ इन दोनों में न बना करे बात बात में लड़ाई हो और सब काम बिगड़ने लगे जिस प्रकार पहले धन आता था वह सब धीरे धीरे बिगड़ने लगा
घर मे क्लेश आदि से यह तकलीफ में आ गया न डिवोर्स दे सके न ही कुछ कर सके जब धन व्यक्ति के पास से जाने लगता है तो उसकी बुद्धि भी घास चरने चली जाती है इस मे संदेह नही किया जा सकता जब बनते हुए काम बिगड़ने लगते हैं दर्द हर किसी को हुआ करता है वह हम हो या आप या कोई भी मनुष्य हो
अब हमने इस कि सारी बात सुन कर इस से कहा भाई हमारा मार्ग अलग है हम को पहले आप की जांच करनी पड़ेगी की यह सब हो क्यो रहा है इस दुख के पीछे असल कारण क्या है यह सब समझने के लिए हमे अपनी पूजा पर बेठना पड़ेगा उस का यह विधान हैं ओर यह यह समान चाहिए उस ने कहा में देने को तैयार हूं उस ने दिया भी
हम ने अपनी पूजा शुरू की जो हम भगवती की करते हैं इस केस को समझने में हम को 4 घण्टे लगे क्योकि जो दुख का कारण था वह एक बार मे प्रकट न हो निकल निकल कर बार बार रूप बदल लें कभी कन्या बन जाये कभी बच्चा कभी नवजात शिशु बहुत बुरी तरह उलझ गए
देखते गए तरह तरह के रूप निकले कभी पितृ वर्ग कभी अन्य वजय मतलब चारो और हमे घुमा रहा था इस के पीछे जो था
जब हम ने भी सोचा यह ऐसे हाथ नही आएगा जो भी आये उस को पकड़ लेते पकड़ते पकड़ते हम एक व्रक्ष के नीचे आ गए वहां पेड़ तो बहुत थे पर यह समझ न आ रहा कि हम यहां आए क्यो क्योकि हमे तो उस की जड़ तलाश करनी है मन मे भगवती का चिंतन चलता रहा उसी पेड़ के नीचे एक तरह पत्तो का ढेर बार बार दिखे जब उस मे नीचे नज़र गयी तो वहां एक मुंड दिखाई दिया
अब जैसे ही उस मुंड पर नज़र गयी हमने कहा इस पर जिसका वास् हैं वो न दिख रहा उस को तलाश किया तो वह उसी पेड़ पर एक काले छाल की तरह लिपटा हुआ था और हमारी नज़र जैसे ही उस पर पड़ी वह पेड़ के पीछे की तरफ जा रहा था अर्थ छिप रहा था
वह इतना भयंकर था कि मानो काजल जैसे काला था और रूप बदलने में माहिर था जब हम ने उस से पूछा कि तू इस को दुखी क्यो कर रहा है उस ने कहा कि इस ने मुझे कष्ट क्यो दिया में इसके पास नही गया ये मुझे लेने आया अब में इस को बर्बाद कर के ही दम लूंगा हमने कहा ठीक है
हम को जड़ तलाश करनी थी हमने की आंखे खोली भगवती को प्रणाम किया उठ गए फिर अगले रोज इस इंसान से बात हुई हमने इस से कहा तूने वह खोपड़ी कहा रखी है उस ने कहा एक पेड़ के निचे हम पक्के हो गए कि जो देखा वह छल नही था
हम ने इस से कहा कि या तो उस खोपड़ी को जहाँ से लाया हैं वही रख आ अगर किसी कारण वहां नही जा सकता तो इस को गंगा में या किसी पुण्य नदी में बहा कर आ जा और वहां एक ब्राह्मण को साथ ले लेना वह पूजा आदि कर के नहा कर ब्राह्मण को कुछ दान कर के घर आ जा
और फिर आगे बताते हैं तुझे क्या करना है और हमे क्या करना है क्योकि हमे पूरा विश्वास है वह वहां से भी वापस जरूर आएगा इस लिए पहले तू उस को दूर कर फिर कैसे जाएगा वह भी करते हैं इंतजाम
इस को एक बात और कहि देख वह हमारा तो कुछ नही करेगा पर वह पूरा जोर देगा कि तुझे पूजा से और हम से दूर करे जिस से तू सफल न हो सके क्योकि सारी गलती तेरी ही है किसी भी हाल में तू बात करना बंद मत करियो और आने वाली पूनम पर यह यह करना है सब बताया उसे
पर उस के भाग्य की पकड़ कमजोर थी और दुर्भाग्य की पकड़ उस पर मजबूत थी उस ने उस को दूर कर दिया अर्थ हम दोनों में बात नही हुई जब पूजा का समय आया तो वह दूर हो गया अर्थ उस मुंड के निवासी ने उस की बुद्धि को भर्मित किया और वह हुआ भी क्योकि इंसान इनके लिए एक कठपुतलियों के समान ही है अगर इंसान की पकड़ इन पर मजबूत हो तब तो ठीक है अगर इनकी पकड़ इंसान पर हो गयी तो बहुत दुख की बात है
फिर हम दोनों की बात कभी न हुई इस प्रकार के बहुत केस देखे जिन्होंने छोटे से कष्ट के कारण ऐसी साधना की और आज उनके वंश के लोग उस दुख को भोग रहे हैं इस लिए सभी से निवेदन हैं कि किसी की बातों में आ कर ऐसे प्रयोग न करे
यही वजय हैं कि हम कभी मंत्र आदि साधना आदि की पोस्ट नही किया करते क्योकि शुरुआत सब को अच्छी लगती हैं पर बाद में जो होता है सोचने पर दुखी हो जाता है तुम तो गए पर आपके साथ साथ घर के सदस्य भी गए
कभी भी कही भी देख लेना इस मार्ग का व्यक्ति परिवार से दूर ही रहता है अर्थ ऐसी जगह बैठ कर कार्य करता है जहां उस के परिवार के सदस्य बार बार न आये क्योकि तरह तरह के लोग आते हैं किस के साथ किस के सिर क्या बवाल है किसी को नही पता
यह इतना बड़ा साधक हैं और निर्भय भी है जब इस पर पकड़ हुई तो इस कि बुद्धि ने साथ छोड़ दिया क्योकि यह सुन सुना कर ही प्रयोग किये प्रयोग करने से पहले भी बहुत तरह के पड़ाव पार करने पड़ते हैं जब ही साधक इन पर अपनी पकड़ मजबूत करता है और बिना वैसे ही प्रयोग करो तो यह साधक पर अपनी पकड़ बना लिया करते हैं
बस मेरा कहने का अर्थ इतना ही है साधना करना गलत नही है पर ऐसी साधना न करना कि कही आपके चक्कर मे आपके परिवार को कष्ट सहन करने पड़े
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